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सोचता है ये दिल चलो उन्हें कोई पैगाम भेंजें
चाहता है दिल उनका कोई तो पैगाम आये।
सोचता है दिल, मेरे लबों पर कभी उनका ,
उनके लबों पर भी, भूले से ही सही, कभी मेरा नाम
आये।
चाहता है दिल, ये फासले मिटे, ये दूरियां घटें
किसी राह तो चले एक साथ, ऐसा कोई मोड़़ ,ऐसा कोई मुकाम आये।
थोड़ी तो मायूसियां तो कम हो, थोड़ा तो उदासियां छंटें
उनके दिल तक मेरी बात पहुंचे, मेरे दिल तक उनके पयाम आयें।
चाहता है दिल जब मैं देखूं बज्म में उनकी जानिब
बेखौफ निगाहों से कभी उनका भी तो सलाम आये।
वो लबों से मिटाये कभी उम्र भर की तिश्नगी ,
लबों को उनके छूकर आये, मेरे हिस्से का जो भी जाम आये।
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