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कामनाएं जागती हैं अथाह
भावनाएं जागती हैं अथाह
जागती है कितनी गहन चाह
शब्दों से भला कहां मिटती है
जब स्पर्श की है जाग उठती है चाह।
2.किसे पता किस मुस्कान के पीछे
छुपी हुई है किसकी कौन सी आह।
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