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कल जब बैठेंगें करने बीती उम्र का हिसाब तो
यूं ही जाया लम्हों का कितना मातम मनायेंगे।
कैसे गुज़ारी हमने एक नाकाम सी जिंदगी
सोचकर खुद ही खुद से पशेमां हो जायेंगे।
कुछ भूली बातें ,कुछ बिछड़े लोग याद आयेंगें
कुछ सीने में दबे दर्द फिर से उभर आयेंगें।
बीती बातें याद कर, कभी लबों पर आयेगी हल्की
सी हंसी
कभी पलकों के कोनों से दो अश्क छलक जायेंगें।
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