
Share0 Bookmarks 23 Reads0 Likes
मैं भटक रहा हूं
अपने बीते हुए अतीत में घूमता हुआ
अपने वर्तमान से भागता हुआ
कुछ पराजय की अनुभूति लिए
कुछ थका हुआ,कुछ रुका हुआ
कुछ टूटा हुआ,कुछ बिखरा हुआ
कुछ सहेजता हुआ
कुछ समेटता हुआ
जो न कभी कर पाया वो करता हुआ
बीते समय में जो खो दिया
उसे पूरा करने के लिए
भागता हुआ,हांफता हुआ
अपनी कल्पनाओं में कहीं
अपने भविष्य का यथार्थ गढ़ता हुआ
सीमाएं तोड़ता हुआ
नये पथों पर पांव धरता हुआ
पुराने पथों को छोड़ता हुआ
कुछ तोड़ता हुआ
कुछ जोड़ता हुआ
अपने अंतर्द्वंद्वों और विरोधाभासों से जूझता हुआ
कुछ पुरानी रेखाएं मिटाता हुआ
कुछ नयी रेखाएं खींचता हुआ
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments