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इन कोलाहल भरी भीड़ में

बचाकर रखने होगें

अपने भीतर ही

एकाकी निर्जन अरण्य ।

कर्कश कोलाहलों में भी

बचाकर रखने होगें मौन के स्वर,

बला की भीड़ के मध्य भी

बचाकर रखने होंगे अपने

एकांत के द्वीप,

मन में फैलते हुए

विस्तृत मरुस्थल के मध्य भी

बचाकर रखने होगें अंतर में ही

जीने के लिए कुछ

हरीतिमा भरे मरुद्यान ।

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