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Romantic PoetryPoetry1 min read

बचाकर रखने होगें

aktanu899aktanu899 February 18, 2023
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इन कोलाहल भरी भीड़ में

बचाकर रखने होगें

अपने भीतर ही

एकाकी निर्जन अरण्य ।

कर्कश कोलाहलों में भी

बचाकर रखने होगें मौन के स्वर,

बला की भीड़ के मध्य भी

बचाकर रखने होंगे अपने

एकांत के द्वीप,

मन में फैलते हुए

विस्तृत मरुस्थल के मध्य भी

बचाकर रखने होगें अंतर में ही

जीने के लिए कुछ

हरीतिमा भरे मरुद्यान ।

सूखती संवेदनाओं की नदी के मध्य भी

बचकर रखने होगें

संवेदनाओं के कुछ गहरे पोखर

भले छोटे ही सही ।

अर्थहीन होते शब्दों

छलने वाले अर्थों और

अनर्गल वाक्यों के मध्य भी

बचाकर रखने होंगे कुछ अर्थपूर्ण अक्षर।

खंडित होते विश्वासों और उपजे अविश्वासों के मध्य भी

बचाकर रखने होगें 

अपनी प्रतिबद्धताओं पर अटूट विश्वास ,

चतुर्दिक फैलती

घृणाओं के मध्य भी

बचाकर रखना होगा प्रेम।


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