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उठ गया है तुम्हारे वादों से ऐतबार
अब हम पर तुम्हारी बात का कोई असर नहीं होता।
तुम्हारी याद अब भी अक्सर आती है
राहों पर निगाहें ,आहटों पर कान अब मगर नहीं होता।
लोग अब भी बातों के नश्तर चुभोते
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