Share0 Bookmarks 60019 Reads0 Likes
आज फिर अतीत से एक परछाईं
अकस्मात कहीं से उभर आई।
आज फिर कोई सोया हुआ
स्वप्न सहसा जाग गया।
आज फिर थके मन और क्लांत तन में
No posts
No posts
No posts
No posts
आज फिर अतीत से एक परछाईं
अकस्मात कहीं से उभर आई।
आज फिर कोई सोया हुआ
स्वप्न सहसा जाग गया।
आज फिर थके मन और क्लांत तन में
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments