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कुछ अधूरी तहरीरें हैं
कुछ बेमानी से लफ्ज़ हैं ,
कुछ भटकते हुए खयाल हैं
कुछ अजब सी कशमकश और उलझने हैं,
कुछ अनसुलझे से सवाल हैं
कुछ नाउम्मीद सी उम्मीदें हैं,
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कुछ अधूरी तहरीरें हैं
कुछ बेमानी से लफ्ज़ हैं ,
कुछ भटकते हुए खयाल हैं
कुछ अजब सी कशमकश और उलझने हैं,
कुछ अनसुलझे से सवाल हैं
कुछ नाउम्मीद सी उम्मीदें हैं,
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