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रहते है वहाँ अर्से से, पर छोड़ देने का भी डर नहीं होता
कि हर एक ठिकाना तो घर नहीं होता
किस्मत को बदलना होगा, कि हम बदल गए हैं
पहले जो हो जाता था, अब हमसे वो सब्र नहीं होता
वक़्त रुकता नहीं, बदलता भी है, पर एक सी चाल नहीं चलता,
जिस तरह अच्छा गुजर जाता है, बुरा उस तरह गुजर नहीं होता
थकन की महफिल में तो रोज शिरकत की मैने
क्यु ये नींद, सुकून, चैन मेरे नजर नहीं होता
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