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हर एहसास पर भले ऊँचे मोल रखना
पर हँसो तो दिल खोल कर हँसना
क्यूंकि मेरी साहूकारी तो बस
इतना गणित समझती है
कि जिंदगी उन्हीं की लंबी है
जिनकी हँसी सस्ती है
और ये दुनिया ना , एक झील है,
और इसमे तैरती अपनी कागज की कश्ती हैं
तो जब नाव तुम्हारी हिचकोले खाए ,
और तुम्हें कभी रोना आए
तो रो देना दिल खोल कर
जता देना सब दर्द बोल कर
क्यूंकि रोने से मन की नमी निकल जाती है
और नहीं रोते तो ये कश्ती गल जाती है
और याद रखना
कि जैसे जैसे सफर में नए पडाव आयेंगे
इस झील के पानी में बदलाव आयेंगे
कभी स्तर बढ़ेगा, कभी तेज बहाव होगा
और संभलना तुम्हें खुद ही हर बार होगा
और लाज़मी है ऐसे वक़्त में
जेहन में एहसासों की हवा का चलना
तो नाव को इसी हवा की ओर रखना
क्योंकि यही हवा पानी की जुगलबंदी हल बन जाएगी
और देखते ही देखते, अपनी कश्ती संभल जाएगी
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