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सुना था आगे ईनाम है कोई
जिंदगी नहीं है, दौड़ है कोई
पर हमारे कदम धीरे चले
सबसे आगे तो नहीं हो पाये
पर सबको साथ लिए चले
कई मोड़ पर आसान रास्ते दिखे
पर सही रास्ते पर सीधे चले
और ये रास्ता जो है, बड़ा पथरीला है
जो लौट रहे थे, वो ये बताते चलें
पर हमने इस रास्ते को पूजा था
सो, ये पैर लहू का प्रसाद चढ़ाते चले
हर एक झूठी मंजिल के अंजामो पर
सच्चे सौ आगाज बनाते चलो
उम्मीद की दिशा मे सूर्योदय भी हो
मन में पूरब उगाते चलो
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