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मां, मैं वापस घर आना चाहती हूँ

Akshita goyalAkshita goyal March 4, 2023
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छत से सूखे कपड़े उठाना चाहतीं हूँ

उबासी लेते लेते तेरे पैर दबाना चाहतीं हूँ

तेरी वो दोपहर वालीं चाय बनाना चाहती हूँ

तुझे गरम गरम दो फुल्के खिलाना चाहतीं हूँ


इन्हीं कामों से तो तंग थी ,जब घर थी

अब यहीं सब फिर करने घर जाना चाहती हूँ

और फिर ना, ये काम ना करने के बहाने बनाना चाहती हूँ

मेरी कामचोरी की आदत पर तेरी डांट खाना चाहती हूँ


कैसी है, खा

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