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✍️
कितना कठिन है
खुद को शब्दों में कहना
शब्दों के परे को जीना
और शब्दों में उसे पिरोना
आसान नहीं,मुश्किल है
भाव संजोना शब्दों में
अनकहे को पन्नों पर कहना
और शब्दों में उसे पिरोना
सहज नहीं अनुभूति को
अनुभव करने योग्य बनाना
विह्वलता को स्वरूप देना
और शब्दों में उसे पिरोना
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