राही राहों में...'s image
Love PoetryPoetry1 min read

राही राहों में...

Akshay Anand ShriAkshay Anand Shri December 22, 2021
Share0 Bookmarks 31606 Reads0 Likes

कदम

बढ़ रहे हैं

मंजिल की ओर


राहें बहुत दलदली हैं

शुष्क फिजायें भी

गिरने का भी डर


रफ्तार तेज करूँ तो

पाँव जमीं में धस जाते

जैसे कींचड़ में पैर


रफ्तार धीमी करूँ तो

दिल में बेचैनी भी होती है

क्या करूँ बड़ी उलझन है


ले लील भले ही राह मुझे

लौटना नहीं स्वीकार मुझे 

-

बड़ी विस्मय की बात य

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts