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घुटता चाँद, विह्वल चकोर

Akshay Anand ShriAkshay Anand Shri May 3, 2022
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विह्वल हो जाता हूँ

विस्मृत औ व्यथित हो जाता हूँ

जब बादलों में छुपे चाँद को

घुटते हुए देखता हुँ



अपने हाथों से बादलों को

एकतरफ कर देने की कोड़ी कल्पना,

तेज हवाएं चलने की

उद्विग्न कामना दिल से

जब बादलों में छुपे चाँद को

घुटते हुए देखता हुँ…



यूँ तो बहुत देखे बादलों में

उगते और डूबते चाँद को,

पर अब विचलित सा

हो जाता है मन

जब बादलों में छुपे चाँद को

घुटते हुए देखता हुँ...



सुनसान रातें, तारों का पहरा

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