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रोज सुबह #आशा के साथ दिन के सफर की शुरुआत करता हूँ, जैसे-जैसे दिन ढलते हैं, हृदय में अंतर्द्वंद..की बढ़ता ही जाता है. एकदम से बेबस सा हो जाता हूँ रात होने तक..
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रोज सुबह #आशा के साथ दिन के सफर की शुरुआत करता हूँ, जैसे-जैसे दिन ढलते हैं, हृदय में अंतर्द्वंद..की बढ़ता ही जाता है. एकदम से बेबस सा हो जाता हूँ रात होने तक..
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