
Share0 Bookmarks 161 Reads0 Likes
रोज सुबह #आशा के साथ दिन के सफर की शुरुआत करता हूँ, जैसे-जैसे दिन ढलते हैं, हृदय में अंतर्द्वंद..की बढ़ता ही जाता है. एकदम से बेबस सा हो जाता हूँ रात होने तक..
फिर मन में आता हैं कि "परिस्थितियों के बदलने के लिए एक पल भी यथेष्ट होता है"
मैं उसी पल का इंतजार करता हूँ
#fridaymorning
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments