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कोई मेरे मन की बात न समझे, तो क्या
कोई मेरे दिल के जज़बातों को न समझे , तो क्या
कोई मेरे त्याग को महत्ता न दे, तो क्या
मेरी माँ का आशीर्वाद है मेरे साथ,
फिर कोई साथ न भी चले तो क्या,
कभी जो मुझ पर संकट आए, तो क्या
कभी जो कोई मेरा बुरा करे, तो क्या
कभी जो मैं घबराने लागू, तो क्या
मेरी माँ मुझे हमेशा सम्हाल लेती है,
फिर कोई और न भी सम्हाले, तो क्या।
अगर दुनिया मुझ से रुठ जाए, तो क्या
अगर सभी मुझे गलत भी कहने , तो क्या
अगर सारा जहां मुझ से छूट जाए , तो क्या
मेरी माँ ही मेरे जीवन की असली ताकत है,
फिर जहां की सारी ताकत मेरे खिलाफ भी, तो क्या।
Er. Akash Panchal
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