
नज़्म
ज़ेहनी सुकूं………………………
दुनिया भर का ये जलसा, न मेरा दिल लगाएगा
जब तक मिल नही जाते, मुझे न चैन आएगा
बहुत दिन हो गए हैं, मै सुकूं से सो नही पाया
मुझे मालूम ना था, इश्क तेरा यूँ जगायेगा
जो मेरे यार हैं वो. छेड़ते हैं नाम ले कर के
वो सब ये जानते हैं, ये बेचारा कह न पायेगा
तुम्हारा ही है कब्ज़ा, आँख में भी रूह में भी तुम
तुम्हारे बाद आँखों को, न कोई भी लुभाएगा
मेरी कोशिश रहेगी, आपको हम घर में ले आएं
मेरे जैसा न कोई, आपसे रिश्ता निभाएगा
तुम्ही को सोच कर लब पे मेरे, मुस्कान आती है
नही सोचा था, तेरा अक्स भी इतना हंसाएगा
तुम्हारे तक हैं जो रस्ते, वो मुझसे हो के जाते हैं
किसी से पूछ लेना, बस यही रास्ता बताएगा
कि तुमसे जो मिलेगा, उससे मेरा राब्ता होगा
"जतन" कविता में अपनी, झूम कर ऐसे समायेगा
शायर
अश्वनी कुमार "जतन"
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
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