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नज़्म
ज़ेहनी सुकूं………………………
दुनिया भर का ये जलसा, न मेरा दिल लगाएगा
जब तक मिल नही जाते, मुझे न चैन आएगा
बहुत दिन हो गए हैं, मै सुकूं से सो नही पाया
मुझे मालूम ना था, इश्क तेरा यूँ जगायेगा
जो मेरे यार हैं वो. छेड़ते हैं नाम ले कर के
वो सब ये जानते हैं, ये बेचारा कह न पायेगा
तुम्हारा ही है कब्ज़ा, आँख में भी रूह में भी तुम
तुम्हारे बाद आँखों को, न कोई भी लुभाएगा
मेरी कोशिश<
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