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दिनभर खालीपन से ऊब कर,
शाम ने आखिर करवट बदल ली,
रात ले आयी तिमिर !
जिसमें था ;डर, भय,निराशा,
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दिनभर खालीपन से ऊब कर,
शाम ने आखिर करवट बदल ली,
रात ले आयी तिमिर !
जिसमें था ;डर, भय,निराशा,
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