दरकती जा रही हैं सभ्यताएं
दरकी थी जैसे वर्षों पहले
और समा गई थी धरती में
जैसे अब समाने को तैयार है,
नहीं चेते अगर समय से
इतिहास बन जाएंगे।
-आकिब जावेद
#जोशीमठ
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