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फ़लक से पुकारें हमें चांद-तारे
वो नज़रो से करते है हमको इशारे
उठा आज सीने में तूफाँ हमारे
किसी ने निगाहों से फिर तीर मारे
ख़ता दिल की जो हो बताओ ज़रा तुम
ग़ुनाह बख़्श भी दो ख़ुदारा हमारे।
ज़माने में तुमने क्यों ठुकरा दिया है
कभी हम तुम्हारे थे तुम थे हमारे
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