ख़ुदा की यूँ कुदरत लिखेंगे
उन्हीं की इबारत लिखेंगे
वही दो जहानों का रहबर
उन्हीं कीइनायत लिखेंगे
मुहब्बत के शायर है हम भी
कलम से मुहब्बत लिखेंगे
मिटेंगी तुम्हारी यूँ मुश्क़िल
ख़ुदा को हक़ीक़त लिखेंगे
नज़र चार तुमसे हुई है<
No posts
Comments