Share0 Bookmarks 247589 Reads1 Likes
जवाँ है होंसला हवा के रुख़ बदलने का
लिखूं मैं गीत किसी रूप के सँवरने का
पहाड़ - सा हो इरादा , कि आँधियाँ सहमें
न रेत घर बने कि , ख़ौफ़ हो बिखरने का
बजे वो साज कि नाचें , लहर के रूहें भी
मैं गाऊँ राग आबशार के मचलने का
जियूँ ये जिंदगी फिर से ,महकते फूलों - सी
खिलूं मैं ले के
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments