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ग़ज़ल- उम्र की मुझपे यूँ उधारी हो गई है

आकिब जावेदआकिब जावेद June 12, 2022
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--------------------- #ग़ज़ल #غزل ------------------------------------

तेरी  ख़ुमारी  मुझपे  भारी  हो  गई है।

उम्र   की  मुझपे यूं  उधारी  हो गई है।

मुद्दतों   से   खुद  को  ही  देखा नही

आईने  पे    धूल   भारी   हो  गई है।

चाहकर  भी   मौत   अब  न  मांगता

ज़िन्दगी  अब   जिम्मेदारी &nbs

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