बदलते परिवेश में
अटपटे
भावोवेश में
गाँव का
बदल रहा
हिस्ट्री,
जियोग्राफ़िया।
खलिहर बैठें
मनो मस्तिष्क
में शून्य लिए
खूब हो रहे
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