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बचपन मे दिन बीते खेल- कूद करते हुए,
बारिश में भींग जाते उछल कूद करते हुए।
खेल हमारे अलग - अलग से हुआ करते थे,
काम से होते ही फुरसत हम खेला करते थे।
लड़के-लड़कियों का खेल अलग अलग बंटे थे,
लड़कियों के साथ गुड्डा-गुड्डी,खो-खो खेलते थे।
लड़को के साथ छुपन - छुपाई ,गेंद - गिप्पा थे,
छेड़कानी होती थोड़ा हम ना समझ डिब्बा थे।
थोड़ी बड़ी होकर जब पहुँची उच्च पाठशाला,
ऐसा कुछ घटित हुआ मेरा मन हुआ काला।
पहली बार
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