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हमारे सामने जो दर खुले हैं,
कई आँखों के मंजर से धुले हैं,
हमेशा मुझ को अपना कहने वाले,
कई लोगों की बातों में घुले हैं,
इशारा कर रहे हैं खामशी का,
झगड़ने के लिए जिनसे तुले हैं,
हमारे नाम कर के वो जुद़ाई,
रकीबों से बहुत मिलने लगे हैं,
मकानों में खुशी बढ़ने लगी है,
मोहल्लों के ये बच्चे चुलबुले हैं,
@AkhlaqueSahir
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