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हाथ में था हाथ उनका
पर नहीं था साथ उनका
हाथ को मेरे पकड़कर
एक दिन बोली अकड़कर
क्या तुम्हें चलना न आया
वक्त को पढ़ना न आया
बस बहुत अब हो चुका है
धैर्य मेरा खो चुका है
मेरी अपनी ज़िंदगी है
जिसमें उसकी बंदगी है
वो हमारा प्यार सच्चा
तुझ से आख़िर बहुत अच्छा
वो हमारी धड़कनों में
बह रहा संगीत है,
मैं हूँ उसकी ख्वाहिशों में
वो मेरा मनमीत है,
तू मेरा बस मित्र ही था
इक अधूरा चित्र ही था
मैं तुम्हें कब तक संभालूँ
वक्त के साँचे में ढालूँ
बस हमारा साथ इतना
और अब झेलूँ मैं कितना
हाथ को मुझसे छुड़ाकर
दूर मुझसे हो गई।
इक अंधेरी राह में था
रोशनी भी खो गई।
#Akhil__Preet
पर नहीं था साथ उनका
हाथ को मेरे पकड़कर
एक दिन बोली अकड़कर
क्या तुम्हें चलना न आया
वक्त को पढ़ना न आया
बस बहुत अब हो चुका है
धैर्य मेरा खो चुका है
मेरी अपनी ज़िंदगी है
जिसमें उसकी बंदगी है
वो हमारा प्यार सच्चा
तुझ से आख़िर बहुत अच्छा
वो हमारी धड़कनों में
बह रहा संगीत है,
मैं हूँ उसकी ख्वाहिशों में
वो मेरा मनमीत है,
तू मेरा बस मित्र ही था
इक अधूरा चित्र ही था
मैं तुम्हें कब तक संभालूँ
वक्त के साँचे में ढालूँ
बस हमारा साथ इतना
और अब झेलूँ मैं कितना
हाथ को मुझसे छुड़ाकर
दूर मुझसे हो गई।
इक अंधेरी राह में था
रोशनी भी खो गई।
#Akhil__Preet
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