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मोहब्बत शुरु शुरु की थी
मंजर सुन्दर सुन्दर था
कहानियों के सपने जैसे
महका सारा उपवन था
बातें करता चाँद से
तारों से मैं लड़ता था
रहता कहाँ मैं होश मे
शोर शराबा करता था
वो वक़्त भी कट गया
जिसमे झूटी क़समें खाई थी
बस वह पल याद रहा फिर
जब उसके साथ नदी किनारे शाम थी
भूल गया था इश्क़ मे ये
के ज़माना नहीं पुराना था
मोहबत्त कुछ मौसम की थी
वह भी एक दौर था
मंजर सुन्दर सुन्दर था
कहानियों के सपने जैसे
महका सारा उपवन था
बातें करता चाँद से
तारों से मैं लड़ता था
रहता कहाँ मैं होश मे
शोर शराबा करता था
वो वक़्त भी कट गया
जिसमे झूटी क़समें खाई थी
बस वह पल याद रहा फिर
जब उसके साथ नदी किनारे शाम थी
भूल गया था इश्क़ मे ये
के ज़माना नहीं पुराना था
मोहबत्त कुछ मौसम की थी
वह भी एक दौर था
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