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Peace PoetryArticle1 min read

अपना यहाँ कोई नहीं

सूरज यादवसूरज यादव November 11, 2021
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अपना यहाँ कोई नहीं
सब पराए से लगने लगे हैँ
कल तक जो मेरे साथ सुबह शाम गुज़ारते थे
बस वही अब मुझे खाने लगे है

बेखबर है हर कोई यहाँ
दुनिया के रिवाज़ों

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