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अपना यहाँ कोई नहीं
सब पराए से लगने लगे हैँ
कल तक जो मेरे साथ सुबह शाम गुज़ारते थे
बस वही अब मुझे खाने लगे है
बेखबर है हर कोई यहाँ
दुनिया के रिवाज़ों
सब पराए से लगने लगे हैँ
कल तक जो मेरे साथ सुबह शाम गुज़ारते थे
बस वही अब मुझे खाने लगे है
बेखबर है हर कोई यहाँ
दुनिया के रिवाज़ों
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