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फूलों की खातिर मैंने,
शूलों से था द्वन्द किया।
माली के नख़रे देखे,
मुँह को उसके बंद किया।
छोटी फूलों की क्यारी से
शर्माता मैं आया,
घृणित बनकर उपवन का
एक गुलाब चुरा लाया।
एक शूल जो शेष बचा था
उसने पी रक्त की बुँदे
गंभीर किया सारा तन मन
इठलाया, जी दुखलाया
और छोड़ गया एक उलझन
क्या था सबसे ज्यादा लाल
रक्त हमारा, लाल गुलाब,
या तुम्हारे फुले गाल।
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