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पनपती है सभ्यताएँ जैसे नदी किनारे
पनप रहा है प्यार तुम्हारा मेरी आँखों के पास
और झरनों से गिरता-पड़ता जल ले जाता है
जैसे उन सभ्यताओं की निशानी
वैसे ही आँसू ढुलक ढुलक बह जाते है
और सुनाते मेरी प्रेम कहानी .
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