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पनपती है सभ्यताएँ जैसे नदी किनारे
पनप रहा है प्यार तुम्हारा मेरी आँखों के पास
और झरनों से गिरता-पड़ता जल ले जाता है&
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पनपती है सभ्यताएँ जैसे नदी किनारे
पनप रहा है प्यार तुम्हारा मेरी आँखों के पास
और झरनों से गिरता-पड़ता जल ले जाता है&
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