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आकाश शाम को देखने में
लगता कितना प्यारा नियारा
अपने नयन से देख इन्हें हम
हो जाते अत्यंत प्रसन्नचित्त ।
अंबर का नजारा देखकर
अंबक उसे देखते रह जाता
ऐसा करता स्वांत हमारा
व्योम का नजारा देखते रहे ।
अभ्र को देखते रहने में
करता न स्वांत फेरने का
नभ का नजारा हमेशा यहां
बद
लगता कितना प्यारा नियारा
अपने नयन से देख इन्हें हम
हो जाते अत्यंत प्रसन्नचित्त ।
अंबर का नजारा देखकर
अंबक उसे देखते रह जाता
ऐसा करता स्वांत हमारा
व्योम का नजारा देखते रहे ।
अभ्र को देखते रहने में
करता न स्वांत फेरने का
नभ का नजारा हमेशा यहां
बद
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