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तुझ से सुंदर नहीं है कोई
दर्पण आज यह बोला है|
मैंने छलनी लेकर साजन
चंदा से तुझको तोला है|
चंदा देखे दीप जलाकर
यार तू तो बड़ा भोला है|
चांद भरोसे के न काबिल
वह रोज बदलता चोला है|
आज चांद से कैसी उम
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