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अभी आई और अभी जाने को तू आतुर है|
तू करती हैं मुहब्बत या बस मेरा फितूर है||
एक पूछूं लाख मगर तू बताती ही नहीं मुझको
लजाती मुझसे है या फिर खुद मैं मगरुर है||
जो रातों को पढ़े गजल मेरी और मुस्कुराती है
खातून ख्वाब में मुझसे लिपट जाती जरूर है||
गई थी छोड़कर मुझको कि याद आऊं न मैं कभी
करती याद ज्यादा मुझको जो मुझसे दूर है||
है मुझमें खासियत ही क्या जो मुझको तू चाहे
एक मेरा दिल जिसके आगे जमाना मजबूर है||
मुझ पर क्यों जताता है तू फासलों की मजबूरियां
मैं तुझसे जितना दूर तू भी मुझसे उतना दूर है||
गया तू छोड़कर मुझको खुद अपनी मर्जी से यारा
बनाई तूने ही दूरी इसमें भी मेरा क्या कसूर है||
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