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किवाड़ खा गई

ajayamitabh7ajayamitabh7 December 25, 2022
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सबूत भी गवाह भी
किवाड़ खा गई,
जालिम ये दीमक सारी,  
मक्कार खा गई।
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हराम की थी  रातें, 
छिपी सी मुलाकातें ,
किसने खिलाये क्या गुल,
गुमनाम सारी बातें।
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आस्तीन में छुपे हुए, 
गद्दार खा गई ,
जालिम ये दीमक सारी, 
मक्कार खा गई।
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जिस रोड के थे चर्चे , 
जिस पर हुए थे खर्चे ,
लायें कहाँ से उसको , 

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