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समाज के बेहतरी की दिशा में आप कोई कार्य करें ना करे परन्तु कार्य करने के प्रयासों का प्रचार जरुर करें। आपके झूठे वादों , भ्रमात्मक वायदों , आपके प्रयासों की रिपोर्टिंग अखबार में होनी चाहिए। समस्या खत्म करने की दिशा में गर कोई करवाई ना की गई हो तो राह में आने वाली बाधाओं का भान आम जनता को कराना बहुत जरुरी है। आपके कार्य बेशक हातिमताई की तरह नहीं हो लेकिन आपके चाहनेवालों की नजर में आपको हातिमताई बने हीं रहना है। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि सारा मामला मार्केटिंग का रह गया है । जो अपनी बेहतर ढंग से मार्केटिंग कर पाता है वो ही सफल हो पाता है, फिर चाहे वो राजनीति हो या कि व्यवसाय।
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वाह भैया क्या बात हो गए,
अखबार-ए-सरताज हो गए।
कल तक भईया फूलचंद थे,
आज हातिम के बाप हो गए।
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गढ्ढे में हीं रोड पड़ा था,
पानी बदबू सड़ा पड़ा था,
नाली से पानी जो बहता ,
सड़कों पे सलता हीं रहता।
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चलना मुश्किल हुआ बड़ा था,
भईया को ना फिक्र पड़ा था।
नाक दबा के भईया चलते,
पानी से बच बच कर रहते।
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पर चुनाव के दिन जब आते,
कचड़े भईया के मन भाते,
टोपी धर सर हाथ कुदाल ,
जर्नलिस्ट लाते तत्काल ।
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झाड़ू वाड़ू लगा लगा के,
कूड़े कचड़े हटा हटा के,
खुर्पी वुर्पी चला चला के,
ठीक पोज़ में दिखा दिखा के।
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फ़ोटो खूब खिचाते भईया,
सबपे छा जाते तब भईया,
पंद्रह लाख दे देंगे पैसे ,
फ्री वाई फाई के हीं जैसे,
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रोजगार की बातें करते,
झाड़ू जाके चौक लगाते।
वादे कर आते फिर ऐसे,
जनता के मन भाते वैसे।
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अपने मन की बात बताते,
अखबारों में न्यूज़ छपाते ।
सपने सब्ज दिखलाते भईया ,
जनता को भरमाते भईया,
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अच्छे हैं भईया जतलाकर ,
पार्टी को ये सब दिखलाकर।
जन प्रत्याशी खास हो गए,
वाह भैया क्या बात हो गए।
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अखबार-ए-सरताज हो गए,
कल तक भईया फूलचंद थे,
आज हातिम के बाप हो गए,
वाह भैया क्या बात हो गए।
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अजय अमिताभ सुमन:
सर्वाधिकार सुरक्षित
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