Share0 Bookmarks 47660 Reads2 Likes
यूँ ही नहीं मेहफिल सजती
हर बाग से फूल आता है
खुशबू तो हर फूल में होती है
रंग तो पर तितली से आता है
हम सोचें, छुयें इससे पहले उड़ जाती है
ना जाने कौन खबर पहुंचता है
खुशबू की जरूरत तो उनको भी होगी
कौन बेवजह बाग में फिरने आता है
ये जो मेहफिल सजी है आस पास हमारे
इन्ही में से कोई हर शाम, उनका रंग चुराता है
वो भी खुश हैं उन्हे खुशी देकर
भवरा बे मतलब बवराता है
भवरा भी मजबूर है
उसका दिल जो पागल है, वर्ना
कौन अपनी इज्जत नीलाम करवाता है
मोहब्बत से दूर ही रहना ये काम नहीं अच्छा
म
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments