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जब आंखें जुबां से ज्यादा, बातें कहना चाहे
और तुम्हारा मन, बस तन्हा रहना चाहे
ऐसे में तुम खुद को, खुद से मिलने देना
बेखौफ हो बेहिचक, सब कुछ कहने देना
गर सवाल हो गहरे, उसमें उतर ही जाना
ना मिले जवाब सही, पर उससे ना डर जाना
अपने वजूद को कभी, भटकने तुम मत देना
हौसला हल्का हो चाहे, पर बिखरने मत देना।
अजय झा *चन्द्रम् *
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