मेरा-मैं, तुम-बिन's image
Share0 Bookmarks 48506 Reads2 Likes
अधर मे है कहीं अटकी
बीते दिनों कि कुछ बातें
जहां अब भी है मुश्किल
क्या सही क्या गलत समझना।

समय से छुप छुपाकर
चाहता हूँ हर बार
दो पल को ही सही
पर तुझे फिर से पुकारूं।


जनता हूँ ये मुमकिन नहीं
है वक़्त के विपरीत ये
पर आज भी अधूरा है 
मेरा मैं तुम ब

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts