Share0 Bookmarks 45387 Reads2 Likes
चहूं ओर चर्चा जोर है
कृत्रिम बुद्धिमत्ता का शोर है
मेरे उद्वेलित मन ने पूछा
क्या ये भावों का चोर है
थोड़ा असहज हुआ मैं
पर सोचना तो पड़ता है
मन के इस असमंजस को
उत्तर देना तो बनता हैं
किया निर्माण हमने इसका
जटिल प्रश्न सुलझाने को
यन्त्र- बुद्धि के संयोग से
सरल मार्ग तलाशने को
सफल हम हुए तनिक
और विकास अभी जारी है
पर ध्यान रहे सदैव सखे
इसका चरित्र दो धारी है
विकास और विनाश
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments