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बूंदो सी टपकती बातें है
इनको सहेजे हम, कैसे कहो
सपनो से सजी ये आँखे है
इनको सजोंए हम, कैसे कहो।
बयां जो बात हो होठों से
वो बात कहे हम, कैसे कहो
मन जिससे हो शांत
वो तान भरे हम, कैसे कहो।
दशा देख असहाय हृदय कि
फूलों कि खिलती कालियां भी
अंगारो सी लगती है
ये दर्द सहे हम, कैसे कहो।
क्या स्वतन्त्र क्या स्वछन्द्
जकड़ा सा खुद को पाते है
टेढी बात समझने वालोंं को
सिधी बात कहे हम, कैसे कहो।
कई तान छ
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