कैसे कहो's image
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बूंदो सी टपकती बातें है
इनको सहेजे हम, कैसे कहो
सपनो से सजी ये आँखे है
इनको सजोंए हम, कैसे कहो।

बयां जो बात हो होठों से
वो बात कहे हम, कैसे कहो
मन जिससे हो शांत
वो तान भरे हम, कैसे कहो।

दशा देख असहाय हृदय कि
फूलों कि खिलती कालियां भी
अंगारो सी लगती है
ये दर्द सहे हम, कैसे कहो।

क्या स्वतन्त्र क्या स्वछन्द्
जकड़ा सा खुद को पाते है
टेढी बात समझने वालोंं को
सिधी बात कहे हम, कैसे कहो।

कई तान छुपे मन के अंदर
जो आक्रोश मे बदले जाते हैं
रोकने की कोशिश है पर
परिवर्तन रोके हम, कैसे कहो।

सवाल करने कि आदत नहीं
पर सवाल करने लगे हैं
बदलती इस आदत को
टोके भी तो हम, कैसे कहो।

आंखों मे बसे सपने को
आंशु से धोते कैसे रहे
इनको फिर् दो आंखों मे
संजोया करें हम, कैसे कहो।

बहुत सोचते है हम
अपनों को परेशान ना करें
पर इनके रहते यहाँ
दुविधा मे रहे हम, कैसे कहो।

अजय झा **चन्द्रम्**

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