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राष्ट्रध्वज के तले, गणतंत्र की छांव में
आओ मिलकर चले, एकता की नांव में
बैर की बेड़ियां, आज मिल के तोड़़ दें
प्रेम की कड़ियां, आओ फिर से जोड़ लें।
धरा और गगन में, चहूं ओर ये तान हो
शौर्य और अमन, का सदा ही मान हो
राष्ट्र के उत्थान में, आओ योगदान दें
अपनी पूर्ण निष्ठा से, गणतंत्र को सम्मान दें।
अजय झा *चन्द्रम् *
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