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करूणा शांति का सन्देश लिए
वो वैमन्स्यता को पाट चले
पर हम मन से हो दरिद्र
अक्रान्त हुए सब बांट चले।
वो सन्मार्ग को प्रशस्त करे
जीवन का दर्शन् जोड़ चले
पर् हम पाखण्ड प्रपंच करे
सद्भाव समन्वय छोड़ चले।
बस नाम मात्र लेकर उनका
कहने को ज्ञान दिखाते हैं
और अनुकरण करना हो तो
वेदार को भी छल जाते है।
बहुजन हिताय बहुजन सुखाय
सद् वाक्य कहां अब याद रहा
स्व हिताय और स्व सुखाय
बस इसका हि अब नाद रहा।
अजय झा **चन्द्रम्**
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