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बरसों बाद बरसी है
मेरी बेकारी पर बरस
बरस यूं बेफिक्र हो
कि बेचैनी बेतार हो जाए।
बरसों बाद बरसी है
बदहवास हो बरस
बरस आज बेदर्द बन
मेरी बदसलूकी पर।
मेरी बेचारगी पर बरस
बरस फिर बेहिसाब होकर
कि बहल जा
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