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तुम मेरे अंतःकरण के
मान का आधार हो
हाँ दिखा सकता नहीं
तुम सत्य निराकार हो।
हो तिमिर कितना घनेरा
या हो प्रपंचों का बसेरा
तुम हि मेरे स्तम्भ हो
अंत और आरम्भ हो।
मैं मूढ़
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