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अमानत-ए-'इश्क़

Ajay JhaAjay Jha May 25, 2023
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दफन हो जाएगा आबरू तेरा इश्क
जतन करले कुछ भी नहीं पाएगा
आह भरने की फितरत रही है सदा
चाह कर भी न सोहबत निभा पाएगा।


दुआ कर या मिन्नतें सब हैं बेकाम के
अपने हिस्से मे बस मुफलिसी पायेगा
फिर भी है गर दमख़म तेरे सीने में
संगदीली मे भी तुझको मजा आएगा।


रूह  तेरा  रहा है अमानत-ए-'इश्क़
खाक होके भी ये कहां मिट पाएगा
दफन हो जाएगा आबरू तेरा इश्क
जतन करले कुछ भी नहीं पाएगा।


अजय झा **चन्द्रम्**

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