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कोई अंकुश है मन पर
और कुछ विवशताएं
अंदर ही अंदर सहमा सा,
भयभीत है स्वयं से
स्याह रात में निहारता
चाँद तारों की दौड़ को
ह्रदय भाग जाना चाहता ह
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