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इतनी बारिश में तुमसे, मुलाकात सही होती।
हम भीग रहे होते, फिर कुछ बात सही होती।
एक हवा का झोंका, तुम्हारी जुल्फों से होकर गुजरता।
तुम्हारी महक से मेरी रूह की, वो रात सही होती।।
तुम बात कोई कहती, मैं याद कोई बुनता।
तुम गीत कोई गाती, मैं संगीत कोई सुनता।
मैं भोर तलक जगता, तुम रात नहीं सोती।
इतनी बारिश में तुमसे, मुलाकात सही होती।।
बिजली कन्हीं चमकती, तो तुम पास मेरे आती।
बादल कोई गरजता, तुम बांहों में समाती।
फिर दिल सुकून पाता, और सांस थमी होती।
इतनी बारिश में तुमसे, मुलाकात सही होती।।
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