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मैं समंदर की तरह इंतजार करता रहा,
कि तुम नदी की तरह आओगी,
अपने टेढ़े मेढे रास्तों से होकर,
अपने सपनों को पूरा करते हुए,
सबको खुशियां बांटते हुए,
सबकी जिंदगी आसान बनाते हुए,
और जब सबके आंसू पोछते हुए
तुम थक जाओगी, तो फिर आओगी तुम
और समा जाओगी मुझमें,
फिर मैं धोऊंगा तुम्हारे पांव,
कि तुम्हारी थकान मिटा सकूं,
पोछूंगा तुम्हारे आंसू जो कोई देख न पाया,
लगाऊंगा गले से कि कुछ सुकू
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